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कविता

सुमति

मुंशी रहमान खान


सुमति शक्ति बलवान अति सुमति रहो सब कोय।
सुमति हरावै प्रवल रिपु भूप सुमति वश होय।।
भूप सुमति वश होय सुमति तोहि राज रजावै।
सुमति हरै दुख दोष सुमति जौहर दिखलावै।।
कहैं रहमान विजय नित पैहौं जो नहिं दाँव कुमति।
रहियो सुखी सर्वदा जग में रखियो कर में शक्ति सुमति।।

 


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हिंदी समय में मुंशी रहमान खान की रचनाएँ